Category : Literature

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अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच का पुस्तक लोकार्पण के साथ डॉ शिवदत्त शुक्ल स्मृति एवं देवेंद्र पाण्डेय स्मृति सम्मान समारोह संपन्न

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अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच का पुस्तक लोकार्पण के साथ डॉ शिवदत्त शुक्ल स्मृति एवं देवेंद्र पाण्डेय स्मृति सम्मान समारोह संपन्न नवी मुंबई। अखिल भारतीय अग्निशिखा
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अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच का गणतंत्र दिवस पर कवि सम्मेलन संपन्न

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अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच का गणतंत्र दिवस पर कवि सम्मेलन संपन्न नवी मुंबई। अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच एक साहित्यिक, सांस्कृतिक सामाजिक संस्था है। यह मंच
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अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच द्वारा आयोजित ‘आजादी का महोत्सव’ पर कवि सम्मेलन संपन्न

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अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच द्वारा आयोजित ‘आजादी का महोत्सव’ पर कवि सम्मेलन संपन्न नवी मुंबई। आजादी के महोत्सव के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच
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मार्कण्डेय त्रिपाठी की पंक्ति “पुरुषोत्तम मास”

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पुरुषोत्तम मास चल रहा मलमास,सावन दो महीने का हुआ है ।मगन हैं प्रभु भक्त,साधन प्राप्त,जीने का हुआ है ।। हो रहे हैं कथा प्रवचन, पंडितों
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शिक्षा में उत्कृष्टता का जुनून

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लेख (16/07/2023) : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के ‘स्कूल शिक्षा और साक्षरता प्रभाग’ द्वारा प्रकाशित प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (Performance Grading Index 2.0 ) के अनुसार, महाराष्ट्र
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गुरु पूर्णिमा उत्सव पर कविता

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गुरु पूर्णिमा उत्सव गुरु पूर्णिमा पर्व आया है मित्रों,करें हम समर्पण,जो क्षमता हमारी ।परम पूज्य भगवाध्वज, गुरु है हमारा,बनी आस इससे ही, शुचि कीर्ति न्यारी
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अग्निशिखा मंच द्वारा मातृ दिवस पर कवि सम्मेलन और साहित्यकारों का सम्मान संपन्न

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नवी मुंबई। अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच की ओर से 14 मई को मातृत्व दिवस पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन रखा गया। कार्यक्रम का मंच संचालन संस्था
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मार्कण्डेय त्रिपाठी की पंक्ति “कठिन गांव जाना”

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कठिन गांव जाना बहुत है कठिन, गांव जाना तपन में,न मिलता टिकट, लगती दूनी दलाली ।अजा, भेड़ सम हो गई जिंदगी है,परेशान हैं लोग, देते
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मार्कण्डेय त्रिपाठी की कविता “बधाई”

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बधाई पहली मयी आ गई ध्यान रक्खें,महाराष्ट्र दिवस और मजदूर दिवस है ।बधाई हो दोनों दिवस की सखे प्रिय,यह मेहनत और उत्साह का शुभ दिवस
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मार्कण्डेय त्रिपाठी की पंक्ति “राजनैतिक परिवेश”

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राजनैतिक परिवेश दुखी मन बहुत, राजनैतिक दशा से,खुलेआम देते हैं जन आज़ गाली ।न तो कोई लज्जा,न संस्कार है अब,बहुत बेशरम हैं, बजाते हैं ताली