City Uncategorized

रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का शताब्दी समारोह का शुभारंभ राज्यपाल ने किया

Image default
Spread the love

मुंबईः पूरे देश और विश्व भर में प्रसिद्ध रामकृष्ण मठ एवं मिशन मुंबई के 100 वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष्य में आयोजित शुभारंभ समारोह का भव्य उद्घाटन बांद्रा के रंग शारदा आडोटोरियम में महाराष्ट्र के राज्यपाल महामहिम श्री रमेश बैस ने 21 अप्रैल को किया। आध्यात्मिक उत्थान और मानवता की सेवा में लगे रामकृष्ण मिशन की मुंबई शाखा के इस समारोह की शुरूआत वैदिक मंत्रों और रामकृष्ण मिशन के वाइस प्रेसिडेंट (उपाध्यक्ष) पूज्य स्वामी गौतमानंदजी महाराज के आगमन के पश्चात हुई।

रामकृष्ण मिशन मुंबई के अध्यक्ष पूज्य स्वामी सत्यदेवानंद महाराज जी ने समारोह के मुख्य अतिथि और महाराष्ट्र के राज्यपाल महामहिम श्री रमेश बैस और देश-विदेश से पधारे तमाम संतों और भक्तों का स्वागत किया। पूरा आडोटोरियम दर्शकों एवं श्रोताओं से खचाखच भरा हुआ था।

समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए महामहिम राज्यपाल श्री रमेश बैस ने कहा कि मुझे रामकृष्ण मठ और मिशन पर हमेशा से ही बहुत श्रद्धा का भाव रहा है। यह मिशन भारत के उन चंद संगठनों में शामिल है जो आध्यात्मिक विकास और मानवता की सेवा के बीच सही और उचित संतुलन बनाते हुए काम करता आया है।

महामहिम राज्यपाल ने रामकृष्ण मिशन को सच्चे तौर पर धर्मनिरपेक्षता की एक जीती जागती मिशाल बताते हुए निवेदन किया कि मिशन आज के नवयुवकों को ज्यादा से ज्यादा स्वामी विवेकानंद के विचारों की शिक्षा दें। मैं रामकृष्ण मिशन के लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे आज के युवकों के बीच स्वामी विवेकानंद के व्यक्ति निर्माण और चरित्र निर्माण के दिए गए संदेश को और तेजी से फैलाने की कोशिश करें।

महामहिम राज्यपाल ने रामकृष्ण मिशन के साथ अपने जुड़ने की बात साझा करते हुए श्रोताओं को बताया, मैं जब 10 वर्ष का था तभी से रामकृष्ण मिशन से जुड़ गया और मेरे सोचने के ढंग पर विवेकानंद जी की शिक्षाओं का व्यापक असर हुआ। मैं एकनाथ रानाडे के कन्याकुमारी मेमोरियल के रूप में स्वामी विवेकानंद की उस मूर्ति बनाने वाली टीम का हिस्सा भी था। उन्होंने मिशन द्वारा मुंबई में किए जा रहे सराहनीय कार्यों की भी व्यापक स्तर पर चर्चा की। महामहिम राज्यपाल ने मिशन की सराहना करते हुए कहा कि मिशन ग्रामीण जनजातीय इलाकों में अपने सकवार सेंटर के माध्यम से अच्छा काम कर रहा है। साथ ही, मुंबई के मिशन की ओर से निर्धन और बेसहारा लोगों के लिए स्थापित रामकृष्ण मिशन चैरिटेबल हास्पिटल जो उत्कृष्ठ काम कर रहा है उसका भी संक्षिप्त ब्यौरा देते हुए हास्पिटल की भूरि-भूरि प्रशंसा।

रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन मुंबई के अध्यक्ष स्वामी सत्यादेवानंद महाराज ने मिशन के वरिष्ठ पूज्य स्वामी गौतमानंद जी और सचिव (जनरल सेक्रेटरी) स्वामी सुवीरानंद का स्वागत करते हुए अपने संबोधन में कहा, हम सबसे लिए यह अपार हर्ष का विषय है कि मुंबई की मिशन की शाखा नें 100 वर्ष पूरे कर लिए। आज के ज्यादातर संस्थान इतनी समयावधि को भी नहीं पूरा कर पाते। स्वामी जी ने स्वामी विवेकानंद की उन पंक्तियों का भी स्मरण कराया जो उन्होंने अपने जीवनकाल में कहीं थीं कि किस तरह से रामकृष्ण मिशन मानवता की सेवा 15,000 से ज्यादा वर्षों तक करेगा। उन्होंने कहा कि विवेकानंद जी ने जो बात कही थी उसके हिसाब से तो यह 100 वर्ष अभी एक शुरूआती समय जैसा ही है, स्वामी जी ने वहां उपस्थिति श्रोताओं, वरिष्ठ सन्यासियों को जानकारी दी।

रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ के उपाध्यक्ष और पूज्य सन्यासी स्वामी गौतमानंद जी महाराज ने मुंबई के इस एक सदी पुराने आश्रम में अपने बिताए दिनों के बारे में अपनी यादें साझा कीं। आत्मनों मोक्षार्रथम जगत हिताय के दर्शन पर बोलते हुए उन्होंने स्वामी विवेकानंद के जीवन में घटी घटनाओं को दर्शकों के साथ साझा किया। विवेकानंद जी एक बार संथाल मजूदूरों को अपने हाथों से निवाला खिलाना चाहते थे और वे मान नहीं रहे थे। स्वामी ने उनसे प्रार्थना की तो वे मान गए, जब उन्होंने खाना शुरू किया तब उन्होंने रोते हुए कहा था,….देखो, मुझे सबके भीतर नारायण दिख रहे हैं। कृपया इन सभी लोगों पर ध्यान दें।

रामकृष्ण बेलूर मठ और मिशन के महासचिव स्वामी सुवीरानंद जी महाराज ने कहा कि उन्हें इस बात की अपार खुशी है कि रामकृष्ण मिशन के 125 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारत सरकार ने जयंती मनाने की घोषणा की है। यह महज एक संजोग नहीं है कि रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन सफलता की एक कहानी बयां करते हैं। उन्होंने श्रोताओं को प्रधानमंत्री की उस टिप्पणी की भी याद दिलाई जब प्रधानमंत्री ने रामकृष्ण मिशन को आधुनिक भारत के इतिहास में एक मील का पत्थर बताया था।

रामकृष्ण मठ एवं मिशन मुंबई की शाखा के 100 वर्ष के पूरे होने के अदभुत संयोग के बारे में बोलते हुए स्वामी सुवीरानंद जी ने कहा कि यह स्थान पिछले सौ वर्षों से एक इतिहास लिखता आया है और इस केंद्र के शताब्दी समारोह में होने वाले इस आयोजन में शामिल होकर मैं अपने को गौर्वान्वित महसूस कर रहा हूं। स्वामी जी ने यह भी बताया कि इस केंद्र पर रामकृष्ण मिशन के वे सन्यासी भी आ चुके हैं जिन्होंने श्री रामकृष्ण से सीधे भेंट की थी, उनके दर्शन किए थे।

Related posts

An Iconic Greek Island Just Got A Majorly Luxurious Upgrade

hindustanprahari

Here’s Why Your Salad May Not Be The Most Healthy Meal

hindustanprahari

What’s On The Horizon For Men’s Fashion This Fall

hindustanprahari

Leave a Comment