नवी मुंबई: 25 जनवरी। सी.बी.डी.,बेलापुर,नवी मुंबई में स्थित कोंकण रेलवे के प्रांगण में निरंतर लोकप्रिय होती साहित्यिक पत्रिका “सृजनिका” की पहली वर्षगांठ पर कविता व लघु कथा वाचन एवं संगोष्ठी का बड़े उत्साह के साथ आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ गणेश एवं सरस्वती वंदना के साथ किया गया। अपने प्रस्ताविक सम्बोधन में “सृजनिका” के संपादक डॉ. अमरीश सिन्हा ने “सृजनिका” पत्रिका की रोचक यात्रा के बारे में सभी को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि पहले अंक से ही “सृजनिका” नाम के अनुसार सृजनात्मकता को बढ़ावा देते हुए उच्च गुणवत्ता की रचनाओं को इसमें शामिल किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, ये त्रैमासिक पत्रिका काफी लोकप्रिय हुई है और देश-विदेश के लोकप्रिय साहित्यकारों ने भी इसकी सराहना की है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दिन-प्रति-दिन इसके पाठकों की संख्या और मांग में वृद्धि को देखते हुए “सृजनिका” का साहित्य समाज को और संवेदनशील तथा समृद्ध बनाने में अवश्य कामयाब होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष, वरिष्ठ कवि, “सृजनिका” के प्रधान संपादक एवं कोंकण रेलवे के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, संतोष कुमार झा ने “सृजनिका” की पहली वर्षगांठ पर संपादक मण्डल को बधाई देते हुए पत्रिका की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की । उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि स्वस्थ एवं सम-सामायिक रचनाओं के माध्यम से पाठकों के सम्मुख अच्छे विचार रखने वाली यह पत्रिका निश्चित ही समाज को एक विशेष दिशा देगी एवं नवीन पीढ़ी का मार्गदर्शन करेगी। उन्होंने नई पीढ़ी को आदर्श प्रदान करने वाली ‘मैं और वो’ कविता सहित सामाजिक वास्तविकता पर प्रकाश डालने वाली कविताएं सुनाई।
मंच पर उपस्थित श्री सत्येन्द्र कुमार शुक्ला, कार्यकारी निदेशक (व्यवसाय एवं परिचालन) एवं मुख्य राजभाषा अधिकारी, कोंकण रेलवे ने “सृजनिका” पत्रिका की पहली वर्षगांठ पर बधाई दी और रचनाओं की उच्च गुणवत्ता की सराहना करते हुए उन्होंने पत्रिका के निरंतर प्रकाशन के लिए शुभकामनाएँ दी।
वरिष्ठ कवि, “सृजनिका” के सलाहकार संपादक डॉ. हूबनाथ पाण्डेय ने अपनी अनूठी शैली में सामाजिक आदर्श एवं परंपरा तथा वास्तविकता में फर्क के बारे में व्यंग्यात्मक शैली में काव्य रचना प्रस्तुत की। प्रसिद्ध मंच संचालक, हास्य कवि एवं उप- संपादक प्रिंस ग्रोवर ने अपनी ‘प्रजातंत्र’ कविता के माध्यम से संदेश दिया कि अपने देश की शक्ति पर विश्वास करें और किसी भी प्रकार के अंध-अनुकरण से बचें। मशहूर ग़ज़ल सम्राट जब्बार हुसैन ने मधुर आवाज़ में ‘ओ पगली बंजारन’ और ‘जिसने सौंपी लाश मुझे’ रचनाएँ सुनाकर सभी दर्शकों का दिल जीत लिया। निजाम नौशाही ने दिल को छूने वाली ‘मोहब्बत खुलासा हो गई’ बेहतरीन रचना पेश की। इश्तियाक सईद ने कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की बहुचर्चित कहानी “कफ़न” की उत्तर कथा के ‘एक कफन और’ का पाठ किया जिसे सुनकर दर्शक भावुक हो गए। रीमा राय सिंह ने ‘मौसम खफ़ा सा क्यूँ है’ गजल के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम में मुंबई व नवी मुंबई के प्रबुद्ध साहित्यकारों के साथ नवी मुंबई नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के कई अधिकारियों ने भाग लिया। गोवा से पधारे सतीश धुरी के अलावा प्रिया पोकले और श्रेया काकडे के साथ कोंकण रेलवे के कर्मियों ने अपने भागीरथ प्रयासों से इस कार्यक्रम को सफल बनया। पूरे कार्यक्रम का मंच संचालन अपनी एक विशेष काव्यात्मक शैली में श्री सदानंद चितले, उप-संपादक, सृजनिका एवं राजभाषा अधिकारी कोंकण रेलवे द्वारा किया गया। प्रिंस ग्रोवर द्वारा उपस्थित मान्यवरों तथा सहयोगियों को आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न कराने में उनके सहयोग की भूरी-भूरी सराहना करते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया गया।