माना जाता है ग्रहण के कारण सूर्य भगवान को पीड़ा हुई है इसलिए सूर्य ग्रहण खत्म होने पर सूर्य देव की आरती जरूर करनी चाहिए।

आज चीन, ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, अमेरिका, मलेशिया, जापान,न्यूजीलैंड, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के लोग साल 2023 के पहले सूर्य ग्रहण के गवाह बने। ग्रहण की तस्वीरें इस वक्त सोशल मीडिया पर आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
मालूम हो कि ये ग्रहण भारत में नजर नहीं आया इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं हुआ लेकिन ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इसका असर सभी राशियों पर पड़ेगा। आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण आज सुबह 07:05 पर शुरू हो गया था और इसका समापन दोपहर 12:29 पर हुआ। ग्रहण की अवधि 05 घंटे 24 मिनट की रही।
सूतक ना लगने से भारत में मंदिरों के कपाट बंद नहीं हुए और ना ही धर्म-कर्म के काम रोके गए लेकिन फिर भी सूर्य ग्रहण के बाद हर एक व्यक्ति को निम्नलिखित बातों का विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है इसलिए ग्रहण के खत्म होते ही तुरंत निम्नलिखित बातें करनी चाहिए।
- सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें।
- फिर खुद स्नान करके स्वच्छ कपड़े धारण करें।
- फिर पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें और भगवान की मू्र्तियां साफ करें।
- पूरे घर और पूजा स्थल पर धूप बत्ती जलाएं , जिससे घर से सारी निगेटिव एनर्जी बाहर निकल जाए।
- तुलसी के पौधे की पूजा करें और आरती करें।
- तुलसी की पत्ती को खाने-पीने की चीजों में डाल देना चाहिए।
- हो सके तो गरीबों को दान करें ।
- गणेश जी , हनुमान जी और सूर्यदेव की आरती करें।
- आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें इससे सारी परेशानियों का अंत हो जाता है।
गृह शांति के लिए सच्चे मन से निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते,
- अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
- “ॐ गं गणपतये नमः “वक्रतुण्डाय हुं”
- “ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं
- श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा”
- ”ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।
- ऊँ जय सूर्य भगवान,
- जय हो दिनकर भगवान ।
- जगत् के नेत्र स्वरूपा,
- तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
- धरत सब ही तव ध्यान,
- ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
- ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
- सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
- श्वेत कमलधारी ।
- तुम चार भुजाधारी ॥
- अश्व हैं सात तुम्हारे,
- कोटी किरण पसारे ।
- तुम हो देव महान ॥
- ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
- ऊषाकाल में जब तुम,
- उदयाचल आते ।
- सब तब दर्शन पाते ॥
- फैलाते उजियारा,
- जागता तब जग सारा ।
- करे सब तब गुणगान ॥
- ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
- संध्या में भुवनेश्वर,
- अस्ताचल जाते ।
- गोधन तब घर आते॥
- गोधुली बेला में,
- हर घर हर आंगन में ।
- हो तव महिमा गान ॥
- ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
- देव दनुज नर नारी,
- ऋषि मुनिवर भजते ।
- आदित्य हृदय जपते ॥
- स्त्रोत ये मंगलकारी,
- इसकी है रचना न्यारी ।
- दे नव जीवनदान ॥
- ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
- तुम हो त्रिकाल रचियता,
- तुम जग के आधार ।
- महिमा तब अपरम्पार ॥
- प्राणों का सिंचन करके,
- भक्तों को अपने देते ।
- बल बृद्धि और ज्ञान ॥
- ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
- भूचर जल चर खेचर,
- सब के हो प्राण तुम्हीं ।
- सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
- वेद पुराण बखाने,
- धर्म सभी तुम्हें माने ।
- तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
- ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
- पूजन करती दिशाएं,
- पूजे दश दिक्पाल ।
- तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
- ऋतुएं तुम्हारी दासी,
- तुम शाश्वत अविनाशी ।
- शुभकारी अंशुमान ॥
- ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
- ऊँ जय सूर्य भगवान,
- जय हो दिनकर भगवान ।
- जगत के नेत्र रूवरूपा,
- तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
- धरत सब ही तव ध्यान,
- ऊँ जय सूर्य भगवान ॥