अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच द्वारा आयोजित ‘आजादी का महोत्सव’ पर कवि सम्मेलन संपन्न
नवी मुंबई। आजादी के महोत्सव के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच द्वारा कोपरखैरने में 19 अगस्त की शाम 4 बजे ऑनलाइन देशभक्ति काव्य संध्या कार्यक्रम का आयोजन सम्पन्न हुआ जिसका विषय था ‘तिरंगा क्या कहता होगा…?
सरस्वती वंदना कर अलका पांडे ने कार्यक्रम की शुरुआत की और मंच का संचालन अलका पांडे और सुरेंद्र हरड़े ने किया। कार्यक्रम के समारोह अध्यक्ष डॉ. कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, मुख्य अतिथि राम राय, विशेष अतिथि जनार्दन सिंह, शिवपूजन पांडे, संतोष साहू, अरविंद अकेला, और पीएल शर्मा थे।
सभी अतिथियों ने देश प्रेम पर अपने मन के उदगार व्यक्त किए, देश प्रेम की ओज भरी कविता से कवियों में जोश भरा और सभी अतिथियों ने देश प्रेम पर अपनी रचनाओं का पाठ किया।
सभी साहित्यिक गुणी जनों के बीच कार्यक्रम शुरू हुआ तथा सबने देश प्रेम से भरी अपनी रचनाएं सुनाई और अंत में नीरजा ठाकुर ने आभार व्यक्त किया। अलका पांडे ने कहा कि हमें आने वाले युवाओं को भी ऐसे ही देश भक्ति के कार्यक्रमों में जोड़ना चाहिए और हर जगह इस तरह के कार्यक्रम करना चाहिए क्योंकि देशभक्ति बहुत जरूरी है। देश है तो हमारा वजूद है और हम उन वीरों को सलाम करते हैं जिन्होंने आज हमें आजादी दिलाई है।
सभी कवियों को अतिथियों ने आशीर्वाद दिया और मंच के अध्यक्ष अलका पांडे ने सुंदर सम्मान पत्र देकर सभी कवि कवियत्रियों का सम्मान किया। कार्यक्रम में शिरकत करने वाले कवि थे रामेश्वर गुप्ता, नीरजा ठाकुर कुमकुम वेद सेन, वैष्णो खत्री, रवि शंकर कोलते, ओमप्रकाश पांडे, सरोज दुग्गल, चंद्रिका व्यास, मीना त्रिपाठी, डॉ कुंवर सिंह मार्तंड, राम राय, अरविंद अकेला, पीएल शर्मा, जनार्दन सिंह, रानी अग्रवाल, रानी नारंग, हीरा सिंह कौशल, डॉ आशा लता नायडू, अलका पांडे, डॉ पुष्पा गुप्ता, बृजकिशोरी त्रिपाठी, डॉ.अंजुल कंसल, अनिता झा, डॉ देवीदीन अविनाशी और सुरेंद्र हरड़े।
प्रस्तुत है कुछ कवियों की पक्तियां
तिरंगा क्या कहता होगा ….?
पंद्रह अगस्त सन सैतालिस 47 को
भारत देश आजाद हुआ था।
देश के गद्दारों के कारण ही भारत देश गुलाम हुआ था।
आजादी का अर्थ तो वीरो ने बताया।
धन्य हुई वो माताएं जिन्होंने अपने लाल खोए।
नमन है उन माताओं को अपना दामन सूना किया।
मस्तक ऊंचा रखकर तिरंगा बचाया।
तिरंगा आज झूम कर कहता है।
दुश्मनों को मार कर मुझे बचाया है।
वीरों ने तिरंगा जान पर खेल कर फहराया।
तिरंगा कहता होगा मैं अब खुश हूं।
हर बलिदानी को याद करना
जान देश पर वार गए।
खून की होली खेल, देश को आजाद कर गए।
बिस्मिल, सुभाष, आजाद, तात्या टोपे, भगत सिंग मस्ताना।
आजादी के ये परवाने कफन बांध कर चले गए।
तिरंगा क्या कहता होगा ….?
तिरंगा कहता है दुश्मन को धूल चटा कर चले गए।
तिरंगे को सम्मान दिला कर चले गए।
स्वर्णिम इतिहास बना कर चले गए।
गौरवशाली दिन दिखा कर चले गए।
तिरंगा यही सब तो कहता होगा …?
- अलका पाण्डेय
यहां का जगा है पहरेदार।
मचा गद्दारों में हाहाकार।
देश की खातिर जीना मरना,
है हरदम ही तैयार।
यहां का जगा है पहरेदार…
– राम राय
वीर खड़े सीमा की रक्षा
करते हैं दिन रात।
झरे बर्फ तूफान चले
बिजली कड़के बरसात।
दुश्मन की ईंटों का बदला
देते हैं पत्थर से
डाल आंख उनकी आंखों में
करते उनसे बात।
कफन तिरंगा ओढ़ वीर
जब घर पर फिरता होगा
सोचो मेरे मीत तिरंगा
तब क्या कहता होगा।
- डॉ कुंवर वीर सिंह मार्तंड
सुनो जी सुनो तिरंगा क्या कहता है। मैं नहीं हूॅं टुकड़ा एक कपड़े का,
मैं जान हूॅं और इज्ज़त हूॅं भारत देश का।
- नीरजा ठाकुर नीर
तिरंगा क्या कहता होगा?
देव, ऋषि, मुनियों, महात्माओं की भूमि पर, कभी दहशतवाद,आतंकवाद का हमला होगा।
तुम्हीं कहो, तब तिरंगा क्या कहता होगा?
वसुधैव कुटुम्बकम मान,
सब एक हो जायेंगे,
जब प्रेम, खुशहाली, भाईचारा,
एकता भरा माहौल होगा,
तुम्हीं कहो, तिरंगा क्या कहता होगा?
- रानी अग्रवाल
देश ने मुझे रखा है बहुत संभाल कर
रक्षा की मेरी इसके बेटों- बेटियों ने
अपनी जान देकर।
मजबूत भुजाओं का मिला है सहारा मुझे। आज भी लहराता हूँ
लाल किले पर शान से।
- ओम प्रकाश पांडे
कभी सोचो, उन शहीदों का, परिवार भी, आज बिलखता होगा।
तुम्हारी रक्षा हेतु, वह नन्हा फूल, पापा कहने को तरसता होगा।
उनको याद कर, दुश्मनों को जड़-मूल से, तुम नष्ट कर देना।
तिरंगा क्या कहता है, इसका सन्देश, तुम घर-घर पहुँचा देना।
- वैष्णो खत्री वेदिका
ए वतन ए वतन हमको तेरी कसम
इस तिरंगे को अब झुकने देंगे नहीं
आएं कैसी भी मुश्किल भरी राहें
खुद का हौंसला टूटने देंगे नहीं
ए वतन ए वतन।
चाहे चीन हो या पाकिस्तान हो
उनका मकसद पूरा होने देंगे नहीं
सर कटा लेंगे हम जान दे देंगे हम
तिरंगे पर नज़र बुरी रखने देंगे नहीं
ए वतन ए वतन
- रानी नारंग
तिरंगे से है स्वतंत्र भारत की शान।
इसकी आन के लिए दे देंगे जान।
स्वतंत्रता बनी रहे तभी भारत महान।
वीर शहीद इस के लिए होते कुर्वान।।
स्वतंत्रता की रक्षा में खड़े हैं वीर जवान।
अन उगाकर फर्ज निभा रहा किसान।
नौजवानों से होगी स्वतंत्रता की पहचान।
नशे की तिलांजलि से बनेगा भारत महान।
स्वतंत्र भारत की संस्कृति है इसकी जान।
संभाल के रखना वीरों की कुर्बानी की शान।
- हीरा सिंह कौशल