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परम्परा और प्रतिष्ठा के साथ रोमांस और हास्य का तड़का लिए दर्शकों के समक्ष हाजिर है “चिंटू की दुल्हनियां”

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मुंबई। भोजपुरी फ़िल्म चिंटू की दुल्हनिया का ट्रेलर लॉन्च कर दिया गया है। इस ट्रेलर में अब भोजपुरी सिनेमा में एक अलग प्रयोग होता दिखाई दिया है। निर्माता निर्देशक ने इस फ़िल्म से एक नई शुरुआत करने की कोशिश किया है जिससे लार्जर दैन लाईफ लगने के साथ ही पारिवारिक मूल्यों को समेटती हुई नज़र आती है चिंटू की दुल्हनिया। फ़िल्म में एक दादाजी हैं जो बाहुबली फ़िल्म का प्रसिद्ध संवाद बोलते रहते हैं कि हमरा वचन ही है शासन, लेकिन घर के परिवार के सदस्य उनकी अड़ियल और कड़क स्वभाव के ख़ौफ़ में इस कदर जीते हैं कि कोई भी इंसान बगावत करने की सोच भी नहीं रख सकता। संयुक्त परिवार की कहानी आज की तारीख में बहुत कम देखने को मिलता है लेकिन इस फ़िल्म के निर्माता निर्देशक ने भोजपुरी में इस बात को बल देकर एक बेहतरीन सन्देश देने की कोशिश किया है। फ़िल्म में चिंटू के अभिनय के तीन शेड्स देखने को मिलेंगे जिसमें काफी वेराइटी और चिंटू के हर कैरेक्टर में विविधता नज़र आएगी। वो आपको कभी कॉमेडी करते हुए नज़र आते हैं तो कभी उतनी ही संज़ीदगी के साथ रोमांस करते हुए नज़र आते हैं और सबसे आखिर में वे एक आत्मा के चंगुल में फिर से एक नई भूमिका में आकर अभिनय के एक नए विस्तारित रूप से स्वयं को दर्शकों के सामने रखते हैं। इंटरवल के पहले फिल्म की कहानी थोड़ी सुस्त लगती है लेकिन अगले कुछ ही पलों में जो फ़िल्म रफ्तार पकड़ती है तो फिर दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है। फ़िल्म के गीत संगीत वन टाइम सुनने लायक हैं क्योंकि उनमें बैकग्राउंड म्यूजिक और तालमेल साधारण से बस थोड़ा बेहतर है। तकनीकी पक्ष में फ़िल्ममांकन बेहतर हुआ है और इसका इम्पैक्ट भी इस ट्रेलर में बखूबी देखने को मिल जाएगा। कलर और डीआई को फ़िल्म रिलीज से पहले थोड़ा और बेहतर किया जा सकता है। फ़िल्म में अभिनय पक्ष की बात करें तो चिंटू के साथ बाकी कलाकारों ने भी बेहतरीन काम किया है। कॉमेडी के लिए बेहतरीन टाइमिंग का होना बेहद जरूरी होता है और इस फ़िल्म में कलाकारों ने इस पाबंदी को बेहतर समझा है इसलिए थोड़ी सी बेहतरीन फ़िल्म आपको देखने को मिल सकती है। फ़िल्म में कलाकारों के सम्वाद करने का तरीका थोड़ा सा इम्प्रोवाइजेशन के साथ होता तो रिजल्ट और बेहतरीन हो सकता था लेकिन फिर भी तकनीक और उम्दा अभिनय कौशल के आगे यह कोई उतना बड़ा पक्ष नहीं रह जाता।
इस फ़िल्म में एक संयुक्त परिवार की कहानी दिखाई गई है जिसमें एक लड़के की 15 साल पहले शादी करके उसका गवना नहीं कराया गया है, उसी फ्रस्ट्रेशन में वो उल्टा सीधा काम करते रहता है। उसी परिवार के मुखिया एक 60 साल के वृद्ध रहते हैं जिनकी रूढ़िवादी सोच से परिवार वाले परेशान होते रहते हैं और उनके मरने की कामना करते रहते हैं। इसी में हास्य के मौके बनते हैं और कहानी में एक नई लड़की के आगमन और फिर गलतफहमियां आकर संजीदा और गम्भीरता का रुख ले लेती हैं। इस कहानी में इमोशन का समावेश भी हुआ है और इसका प्रभाव भी बखूबी देखने को मिल रहा है।
जॉली हिट्स एंटरटेनमेंट प्रस्तुत भोजपुरी हॉरर कॉमेडी फ़िल्म चिंटू की दुल्हनिया के निर्माता मुकेश जवाहिर चौहान हैं, वहीं सह निर्माता राम सिंह चौहान, भंवर सिंह, दिलीप कुमार पांडेय, शिवकुमार रमेश जायसवाल और शैलेन्द्र गुप्ता हैं। फ़िल्म में लिखे छोटू यादव के गीतों को संगीत से सजाया है छोटे बाबा ने जिनपर खूबसूरत नृत्य निर्देशन किया है कानू मुखर्जी, राम देवन और महेश आचार्य की तिकड़ी ने। फ़िल्म के कथा, पटकथा और संवाद लिखा है मशहूर लेखक वीरू ठाकुर ने लिखा है, वहीं फ़िल्म के निर्देशन की कमान चंदन सिंह ने संभाला है। चिंटू की दुल्हनिया की सिनेमेटोग्राफी का काम किया है समीर सैय्यद ने और फ़िल्म के एक्शन डायरेक्टर दिलीप यादव हैं।

– संतोष साहू

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