बधाई
पहली मयी आ गई ध्यान रक्खें,
महाराष्ट्र दिवस और मजदूर दिवस है ।
बधाई हो दोनों दिवस की सखे प्रिय,
यह मेहनत और उत्साह का शुभ दिवस है ।।
मगर बेरोजगारी और महंगाई ने सच,
उतारा है चेहरा, चतुर्दिक उदासी ।
कठिन है बहुत, आज घर को चलाना,
लगाते व्यथित हो,कृषक आज़ फांसी ।।
नहीं काम मिलता है मज़दूरों को अब,
है हालत बुरी,मंद है सारा धंधा ।
बनाते महल, खुद रहें झोपड़ी में,
शहर हो या गांवों का, है हाल गंदा ।।
है सरकारी सुविधा बहुत आजकल सच,
मगर यह तो आकाशवृत्ति है यारों ।
बहुत लोग बेकार होकर भटकते,
समस्या विकट,इसको यूं ही न टालो ।।
चली योजनाएं अनेकों हैं फिर भी,
होतीं ऊंट के मुंह में वे आज़ जीरा ।
आबादी बहुत और विवश है प्रशासन,
मगर सच में मजदूर होते हैं हीरा ।।
मार्कण्डेय त्रिपाठी ।