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आईटी सेवाओं की तुलना में 20% तक अधिक वेतन दे रहा है जीसीसी: टीमलीज़ डिजिटल

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वित्त वर्ष 2025 में एआई, एमएल, साइबर सुरक्षा और डेटा प्रबंधन में करेगा बड़ा निवेश

मुंबई : टेक्नोलॉजी क्षेत्र के तेज गति से विकसित होने के बीच इनोवेशन और डिजिटल विशेषज्ञता के लिए भारत एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है। इसलिए प्रतिभा की मांग, कौशल प्राथमिकताओं और पारिश्रमिक के समीकरण को समझना जरूरी है। इस जरूरत को पूरा करते हुए, टेक स्टाफिंग और लर्निंग सॉल्यूशंस में मार्केट लीडर टीमलीज़ डिजिटल ने वित्त वर्ष 2025 के लिए डिजिटल स्किल्स और सैलरी प्राइमर नाम से अपनी नवीनतम रिपोर्ट जारी की है, जो आईटी उत्पाद और सेवाएं, वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी), और गैर-तकनीकी उद्योग के तीन प्रमुख तकनीकी क्षेत्रों में नवीनतम उद्योग रुझानों, महत्वपूर्ण कौशल और वेतन बेंचमार्क के बारे में जरूरी और गहन जानकारी प्रदान करती है।

यह व्यापक रिपोर्ट वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 के बीच कौशल की मांग का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जिसमें नौकरी के कार्य, शहर, अनुभव स्तर और विशिष्ट भूमिकाओं के आधार पर वेतन को विभाजित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट उच्च-मांग वाले कौशल और इसके लिए जरूरी प्रमाणपत्रों का आकलन करती है। साथ ही स्किल गैप या कौशल अंतराल को संबोधित करने और उसे बाजार की जरूरतों के मुताबिक तैयार करने के लिए रणनीतिक सिफारिशें भी करती है।

टेक्नोलॉजी मार्केट के बारे में विश्लेषण प्रस्तुत करती टीमलीज़ डिजिटल की रिपोर्ट से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024 तक, भारत के तकनीकी बाजार का आकार 254 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसकी सालाना वृद्धि दर 3.8% रही और इसमें 5.6 मिलियन तकनीकी कार्यबल या वर्कफोर्स मौजूद था।

वर्ष 2020 से 2024 के बीच पायथन, आर, टेन्सरफ्लो और पायटॉर्च और जैसे आवश्यक टूल्स के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल), ब्लॉकचेन टेक, आईओटी, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (आरपीए), एज कंप्यूटिंग और क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में भारत ने तेज प्रगति देखी। हालांकि, यहां विशेषज्ञता की एक महत्वपूर्ण कमी नजर आती है और पता चलता है कि भारत में केवल 2.5% इंजीनियरों के पास एआई कौशल है, और केवल 5.5% बुनियादी प्रोग्रामिंग क्षमताओं की योग्यता रखते हैं। इस बढ़ते तकनीकी कौशल अंतर के जवाब में, 86% भारतीय व्यवसाय सक्रिय रूप से अपने आईटी कर्मचारियों को फिर से प्रशिक्षित कर रहे हैं।

वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी):

एआई, एमएल और ब्लॉकचेन में महत्वपूर्ण निवेश के साथ, भारतीय टेक क्षेत्र का राजस्व 2025 तक 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। दक्षता और इनोवेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए, भारत में वर्तमान में 1600 से अधिक जीसीसी हैं जिनमें 1.66 मिलियन से अधिक पेशेवर काम कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत अगले 5-6 वर्षों में 800 नए जीसीसी का स्वागत करने के लिए तैयार है, जो वैश्विक तकनीकी केंद्र के रूप में देश की बढ़ती भूमिका को सामने रखता है। दिलचस्प बात यह है कि कोलकाता, अहमदाबाद और वडोदरा जैसे द्वितीय श्रेणी के शहरों में जीसीसी स्थापित करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो देश भर में तकनीकी अवसरों के भौगोलिक विविधीकरण का संकेत दे रही है। इस दौरान जिन हुनर या कौशल की मांग बढ़ रही है, उनमें पायटॉर्च, एडब्ल्यूएस, डेवऑप्स, एनएलपी, कुबेरनेट्स,हाइपरलेजर फैब्रिक, ब्लॉकचेन, टैब्लू, एसक्यूएल और सर्विसनाऊ शामिल हैं।

आईटी प्रॉडक्ट एवं सेवाएं और गैर-तकनीकी उद्योग:

आईटी प्रॉडक्ट्स और सेवाओं में, अगले पांच वर्षों में क्लाउड निवेश 25-30% बढ़ने वाला है। अनुमान के मुताबिक, आईटी उत्पाद और सेवाएं 2026 तक भारत की जीडीपी का 8% हिस्सा होंगी और क्लाउड समाधान अपनाते हुए ये भारत में 14 मिलियन नौकरियां पैदा करेंगी, जो इस क्षेत्र की आर्थिक प्रभाव की क्षमता को स्पष्ट करता है। वहीं प्रिज्माक्लाउड, सेल्सफोर्स, आईटीएसएम, पावरबीआई और ओरेकल के हुनर में तेज मांग देखी जा रही है, जबकि रिपोर्ट स्केच, यूआई पाथ, स्प्लंक और ऑटोमेशन एनीव्हेयर की घटती मांग के बारे में बताती है।

पारंपरिक रूप से गैर-तकनीकी उद्योगों को भी उन्नत टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से उनका कायाकल्प किया जा रहा है, जिसमें दूरसंचार, मीडिया और मनोरंजन, बीएफएसआई और ऊर्जा और उपयोगिता क्षेत्रों में 70% से अधिक कंपनियां अपने प्रौद्योगिकी बजट का 20% से अधिक डिजिटल एडवांसमेट के लिए समर्पित कर रही हैं। इस गैर-तकनीकी क्षेत्र में तकनीकी प्रतिभा पूल का 7.86% सीएजीआर के साथ विस्तार होने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2012 में 7.65 लाख से बढ़कर वित्त वर्ष 27 तक 11.15 लाख तक पहुंच जाएगा। यह विभिन्न पारंपरिक उद्योगों में तकनीकी के बढ़ते एकीकरण को उजागर करता है। इसके अलावा, इस सेक्टर के दायरे को देखते हुए ट्रेंडिंग स्किल का दायरा काफी बड़ा है। हालांकि, जिम्प, ज़ेंडेस्क, नागियोस, गूगल क्लाउड एसडीके और ओपनस्टैक सीएलआई जैसे स्किल की मांग में कमी आई है।

महत्वपूर्ण फंक्शनल एरिया, शीर्ष कौशल और वेतन:

टीमलीज़ डिजिटल की रिपोर्ट तकनीकी उद्योग में प्रमुख कार्यात्मक क्षेत्रों की पहचान करती है जिसमें सॉफ्टवेयर विकास और इंजीनियरिंग, क्लाउड सॉल्यूशंस और एंटरप्राइज एप्लिकेशन प्रबंधन, प्रोजेक्ट प्रबंधन और यूजर एक्सपीरिएंस, डेटा प्रबंधन और एनालिटिक्स, साइबर सुरक्षा और नेटवर्क विकास, और सिस्टम संचालन और तकनीकी सहायता सेवाएं शामिल हैं। ये क्षेत्र भारत के तकनीकी क्षेत्र को आगे बढ़ाने वाली मुख्य दक्षताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

रिपोर्ट इन-डिमांड कौशल और संबंधित वेतन ब्रैकेट के बारे में भी विस्तृत जानकारी मुहैया कराती है। जीसीसी में, एआई/एमएल इंजीनियर की नौकरी के कार्य लगभग होते हैं। शुरुआती वेतन 8.2 लाख रुपये सालाना है जो 8 वर्ष से अधिक के अनुभव के साथ सीनियर लेवल पर 43 लाख रुपये सालाना तक जा सकता है। आईटी उत्पाद और सेवा क्षेत्र में, एक बिग डेटा डेवलपर को शुरुआती स्तरों पर 9.7 लाख रुपये सालाना और वरिष्ठ स्तरों पर 20.7 लाख रुपये सालाना का लगभग वेतन मिल सकता है। गैर-तकनीकी क्षेत्रों में तकनीकी कार्यों को ध्यान में रखते हुए, एसएपी एबीएएपी सलाहकार की भूमिका का प्रारंभिक वेतन लगभग 7.2 लाख रुपये सालाना है, जो कि 8+ वर्षों के अनुभव के साथ 31 लाख रुपये सालाना तक जा सकता है। अन्य मांग वाली भूमिकाओं में डेवऑप्स इंजीनियर, आईओटी इंजीनियर, सूचना सुरक्षा विश्लेषक और ऑटोमेशन इंजीनियर शामिल हैं और प्रत्येक को अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर प्रतिस्पर्धी वेतन मिलता है।

रिपोर्ट के नतीजों के बारे में बात करते हुए टीमलीज़ डिजिटल की सीईओ, नीति शर्मा ने कहा, “भविष्य की ओर बढ़ने के साथ ही भारतीय तकनीकी क्षेत्र तेजी से विकास के लिए तैयार है, जो अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में इनोवेशन और रणनीतिक निवेश की निरंतर खोज से प्रेरित है। टेक सेक्टर 2025 तक 350 अरब डॉलर के राजस्व तक पहुंचने की राह पर है, अकेले 2023 में एआई, मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन में कुल 9 अरब डॉलर से अधिक का महत्वपूर्ण निवेश हुआ। यह उछाल रिमोट वर्क और डिजिटल-फर्स्ट रणनीतियों के बढ़ने से प्रेरित है, जिससे क्लाउड कंप्यूटिंग को अपनाने में तेजी आई है और उम्मीद है कि अगले पांच वर्षों में क्लाउड बाजार 22% की सीएजीआर से बढ़ेगा। 5जी और आईओटी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां भारत के तकनीकी परिदृश्य को और अधिक विस्तार देने के लिए तैयार हैं, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि देश वैश्विक तकनीकी प्रगति में सबसे आगे बना रहे।”

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