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भारत में अब जार्डियन्स ® (एम्पाग्लिफ्लोज़िन) वयस्क क्रोनिक किडनी डिसीज़ के इलाज के लिए मंजूरी

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भारत में अब जार्डियन्स ® (एम्पाग्लिफ्लोज़िन) वयस्क क्रोनिक किडनी डिसीज़ के इलाज के लिए मंजूरी

• क्रोनिक किडनी डिसीज़ (सीकेडी) भारत में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, हाल के वर्षों में इसमें चिंताजनक रूप से वृद्धि हुई है और यह हमारे देश में मृत्यु के शीर्ष 10 कारणों में से एक है।
• सीकेडी के बढ़ने से हृदय संबंधी मृत्यु का खतरा 2-3 गुना बढ़ जाता है, इसके अतिरिक्त अस्पताल में दाखिल होने का खतरा बढ़ जाता है और किडनी के फेल होने की संभावना बढ़ जाती है।
• जैसा कि ईएमपीए-किडनी चरण III परीक्षण में पाया गया है, जार्डियन्स (एम्पाग्लिफ्लोज़िन) 10एमजी टैबलेट ने सीकेडी के पात्र रोगियों में गुर्दे की बीमारी के बढ़ने और हृदय संबंधी मृत्यु के जोखिम को काफी कम कर दिया है।

भारत का राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने eGFR (केवल eGFR 30-90ml/min/1.73m2 वाले रोगियों के लिए) रोगियों में निरंतर गिरावट, अंतिम चरण की किडनी की बीमारी, हृदय संबंधी मृत्यु और क्रोनिक किडनी डिसीज़ (सीकेडी) के बढ़ने के जोखिम वाले वयस्कों में अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम करने के लिए जार्डियन्स® (एम्पाग्लिफ्लोज़िन) 10 एमजी टैबलेट को मंजूरी दे दी है। यह संकेत अनुमोदन नेफ्रोलॉजिस्ट और हृदय रोग विशेषज्ञों को पात्र रोगियों में सीकेडी के इलाज के लिए जार्डियन्स 10 एमजी टैबलेट का उपयोग करने की अनुमति देता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पॉलीसिस्टिक किडनी रोग वाले मरीजों में सीकेडी के इलाज के लिए जार्डियन्स की सिफारिश नहीं की जाती है या ऐसे मरीज़ जिन्हें अंतःशिरा इम्यूनोस्प्रेसिव थेरेपी की आवश्यकता होती है या हालिया इतिहास है या गुर्दे की बीमारी के लिए 45 एमजी से अधिक प्रेडनिसोन या समकक्ष है।
इस अनुमोदन से भारत में सीकेडी5 से ग्रस्त अनुमानित 3 करोड़ 30 लाख से अधिक वयस्कों के लिए देखभाल के मानक को आगे बढ़ाने की और सीकेडी से ग्रस्त लोगों के लिए अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम करने के साथ-साथ गुर्दे की विफलता की प्रगति में देरी करके स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर पड़ने वाले बोझ को कम करने में मदद करने की क्षमता है।
गगनदीप सिंह बेदी (मैनेजिंग डायरेक्टर, बोहरिंगर इंगेलहेम इंडिया) ने बताया कि क्रोनिक किडनी डिसीज़ एक गंभीर स्वास्थ्य मुद्दा है, और रोग की प्रगतिशीलता को धीमा करने और परिणामों को बेहतर बनाने वाले चिकित्सा उपचार अत्यंत आवश्यक हैं। हम किडनी रोग से पीड़ित लोगों और उनके चिकित्सकों की मदद करने में एम्पाग्लिफ्लोज़िन की आवश्यक भूमिका निभाने की मंजूरी और क्षमता को लेकर काफी उत्साहित हैं। यह भारत में अधूरी चिकित्सा जरूरतों को पूरा करने वाले नवाचारी समाधान लाने की हमारी प्रतिबद्धता पर भी जोर देता है।
बोहरिंगर इंगेलहेम इंडिया की मेडिकल डायरेक्टर, डॉ. श्रद्धा भुरे ने इस विकास की अहमियत पर बल देते हुए कहा कि भारत में सीकेडी एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप या हृदय रोग जैसे सामान्य जोखिम-कारकों से उत्पन्न होती है। प्रगतिशील सीकेडी रोगियों के अस्पताल में दाखिल होने, हृदय संबंधी घटनाओं, गुर्दे की विफलता और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। स्वास्थ्य पर प्रभाव के अतिरिक्त, सीकेडी के रोगियों के एक बड़े हिस्से को असहनीय स्वास्थ्य संबंधी व्यय को भी झेलना करना पड़ता है। सीकेडी का पूर्वानुमान अलग-अलग तरह के अंतर्निहित कारणों और/या सीकेडी के चरणों के अनुसार भिन्न हो सकता है; इससे सीकेडी के विभिन्न रोगियों के लिए सिद्ध उपचार-विकल्पों की ज़रूरत पड़ सकती है। पात्र रोगियों की एक विस्तृत श्रृंखला में सीकेडी परिणामों में नैदानिक रूप से सार्थक सुधार प्रदान करने पर एम्पाग्लिफ्लोज़िन के वैज्ञानिक प्रमाण, सीकेडी के वर्तमान उपचार-परिदृश्य में सुधार करने के लिए सशक्त कारण प्रदान करते हैं। सीकेडी का इष्टतम प्रबंधन न केवल रोगियों और उनके परिवारों के लिए, बल्कि बड़े पैमाने पर समाज और देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के लिए स्वास्थ्य और आर्थिक परिणामों में पर्याप्त सुधार ला सकता है।
पद्मश्री डॉ. (प्रो.) कमलाकर त्रिपाठी बताते हैं कि हमारे देश के गैर-संचारी रोगों के राष्ट्रीय कार्यक्रम में क्रोनिक किडनी डिसीज़ को प्राथमिकता के रूप में मान्यता दी गई है। शुरुआती चरणों में, क्रोनिक किडनी डिसीज़ अक्सर बिना किसी स्पष्ट नैदानिक लक्षणों के बढ़ता है, जिससे अक्सर निदान में देरी होती है। जिन मरीजों में एडवांस क्रोनिक किडनी डिसीज़ का निदान किया जाता है, उनमें अस्पताल में दाखिल होने, किडनी की असफलता और हृदय संबंधी मृत्यु जैसी बड़ी घटनाओं का खतरा अधिक होता है। किडनी की सर्वोत्कृष्ट देखभाल का एक प्रमुख पहलू क्रोनिक किडनी डिसीज़ का शीघ्र पता लगाना और उसकी प्रगतिशीलता को धीमा करना है। प्रारंभिक तौर पर ध्यान दिए जाने से अंतिम चरण की किडनी रोग की प्रगतिशीलता को धीमा किया जा सकता है।
मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी के पारिवारिक इतिहास वाले कुछ ऐसे व्यक्ति हैं, जिनमें क्रोनिक किडनी डिसीज़ विकसित होने का खतरा अधिक होता है। यह आवश्यक है कि ये व्यक्ति क्रोनिक किडनी डिसीज़ के लिए नियमित रूप से परीक्षण करवाएं और सर्वोत्कृष्ट किडनी सुरक्षा के लिए उचित उपचार प्राप्त करें। डॉ. त्रिपाठी कहते हैं कि यह खुशी की बात है कि ईएमपीए-किडनी अध्ययन जैसे अच्छे वैज्ञानिक शोध, आशाजनक उपचार विकल्प प्रदान कर रहे हैं, जो क्रोनिक किडनी डिसीज़ वाले पात्र रोगियों के अधिक विविध समूहों की सेवा कर सकते हैं।

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