
हमलोग अक्सर आईएएस अधिकारी के पावर और रुतबा के बारे में पढ़ते हैं। आपके घर हो या हमारे घर अक्सर हमारे परिवार वाले यूपीएससी की तैयारी की बात जरूर करते हैं। आईएएस अधिकारी के बारे में अक्सर लोग गूगल में भी सर्च करते हैं।
लेकिन IAS से जुड़े कुछ ऐसे सवाल भी हैं जिसके बारे में बहुत लोगों को पता नहीं होता है। जैसे कि आईएएस अधिकारी को कौन हटा सकता है या बर्खास्त कर सकता है। निलंबित करने का अधिकार किसके पास होता है? तो चलिए आज आपलोगों को बताते हैं आखिर एक IAS अधिकारी को कौन बर्खास्त कर सकता है? निलंबित करने का अधिकार किसके पास होता है?
अब आप लोग सोच रहे होंगे राज्य सरकार आईएएस अधिकारी को बर्खास्त कर सकती है। लेकिन यह गलत है। बता दें कि राज्य सरकार किसी आईएएस अधिकारी को सस्पेंड या उसका ट्रांसफर कर सकती है। लेकिन राज्य सरकार के पास बर्खास्तगी का अधिकारी राज्य सरकार के पास नहीं है। राज्य सरकार भी इनको सिर्फ निलंबित ही कर सकती है।
कौन कर सकता है आईएएस को बर्खास्त
दरअसल, एक आईएएस अधिकारी की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। सरकार उसको भारतीय गजट में अधिसूचित करती है इसलिए ये अधिकारी गजेटेड अधिकारी भी कहलाते हैं। इसका मतलब है कि राष्ट्रपति के सिवाय इन अधिकारियों को कोई भी बर्खास्त नहीं कर सकता। हालांकि, इसके लिए केंद्र सरकार की सिफारिश आती है।
अनुच्छेद 311 में IAS अधिकारी की बर्खास्तगी की चर्चा
आईएएस अधिकारी के सेवा नियम और बर्खास्तगी के बारे में अनुच्छेद 311 में चर्चा है। इसके मुताबिक कोई भी शख्स जो संघ की सिविल सेवा या अखिल भारतीय सेवा का या राज्य की सिविल सेवा का सदस्य होता है उसकी नियुक्ति करने वाली अथॉरिटी के अलावा कोई अथॉरिटी उसे पद से हटा नहीं सकती। इन अधिकारियों को जांच के बाद आरोप साबित होने पर और उन आरोपों के संबंध में सुनवाई का उचित मौका देने के बाद ही निलंबित या बर्खास्त किया जाता है।
कैसे होता है ट्रांसफर
आईएएस अधिकारी को एक कैडर से दूसरे कैडरों में भेजने का काम केंद्र सरकार राज्य सरकार की सलाह से करती है। केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकारों की सहमति से, एक कैडर के अधिकारी का ट्रांसफर दूसरे कैडर में कर सकती है।
किसी भी आईएएस अधिकारी को एक हफ्ते से ज्यादा निलंबित नहीं रखा जा सकता
2015 में केंद्र सरकार के एक नए नियम के मुताबिक अब किसी भी आईएएस या आईपीएस अधिकारी को एक हफ्ते से ज्यादा निलंबित नहीं रखा जा सकेगा। हालांकि जहां राज्य सरकारों की समीक्षा समिति ने इसकी पहले से अनुमति दी हो, उस स्थिति में ये नियम लागू नहीं होगा।